ऐ मिरे घर की फ़ज़ाओं से गुरेज़ाँ महताब By Sher << अम्मामे को उतार के पढ़ीयो... एक सन्नाटा दबे-पाँव गया ह... >> ऐ मिरे घर की फ़ज़ाओं से गुरेज़ाँ महताब अपने घर के दर-ओ-दीवार को कैसे छोड़ूँ Share on: