ऐ सज्दा-फ़रोश-ए-कू-ए-बुताँ हर सर के लिए इक चौखट है By Sher << किस तरह जवानी में चलूँ रा... जो चुप रहा तो वो समझेगा ब... >> ऐ सज्दा-फ़रोश-ए-कू-ए-बुताँ हर सर के लिए इक चौखट है ये भी कोई शान-ए-इश्क़ हुई जिस दर पे गए सर फोड़ लिया Share on: