बे-सबब जम'अ तो करता नहीं तीर ओ तरकश By Sher << था कोई वहाँ जो है यहाँ भी... चंद यादें हैं चंद सपने है... >> बे-सबब जम'अ तो करता नहीं तीर ओ तरकश कुछ हदफ़ होगा ज़माने की सितमगारी का Share on: