एक अंगड़ाई से सारे शहर को नींद आ गई By Sher << रौशनी में लफ़्ज़ के तहलील... शाम खुलती है तेरे आने से >> एक अंगड़ाई से सारे शहर को नींद आ गई ये तमाशा मैं ने देखा बाम पर होता हुआ Share on: