इक बार अगर क़फ़स की हवा रास आ गई By Sher << हम ने बुरा भला ही सही काम... चलते रहे हम तुंद हवाओं के... >> इक बार अगर क़फ़स की हवा रास आ गई ऐ ख़ुद-फ़रेब फिर हवस-ए-बाल-ओ-पर कहाँ Share on: