एक बार उस ने बुलाया था तो मसरूफ़ था मैं By Sher << एक बोसे के भी नसीब न हों दुनिया से कहो जो उसे करना... >> एक बार उस ने बुलाया था तो मसरूफ़ था मैं जीते-जी फिर कभी बारी ही नहीं आई मिरी Share on: