इक चिंगारी आग लगा जाती है बन में और कभी By Sher << क़त्ल के कब थे ये सारे सा... मेरे पहलू में तुम आओ ये क... >> इक चिंगारी आग लगा जाती है बन में और कभी एक किरन से ज़ुल्मत को छट जाना पड़ता है Share on: