एक दश्त-ए-ला-मकाँ फैला है मेरे हर तरफ़ By Sher << हरम-ए-पाक भी अल्लाह भी क़... किस से दूँ तश्बीह मैं ज़ु... >> एक दश्त-ए-ला-मकाँ फैला है मेरे हर तरफ़ दश्त से निकलूँ तो जा कर किन ठिकानों में रहूँ Share on: