इक दिन जो यूँही पर्दा-ए-अफ़्लाक उठाया By Sher << रंग आ जाते मुट्ठी में जुग... ग़ुंचा ओ गुल माह ओ अंजुम ... >> इक दिन जो यूँही पर्दा-ए-अफ़्लाक उठाया बरपा था तमाशा कोई तन्हाई से आगे Share on: