इक एक हर्फ़ की रखनी है आबरू मुझ को By Sher << अजब लहजे में करते थे दर-ओ... जज़ीरे उग रहे हैं पानियों... >> इक एक हर्फ़ की रखनी है आबरू मुझ को सवाल दिल का नहीं है मिरी ज़बान का है Share on: