एक एक कर के लोग बिछड़ते चले गए By Sher << जब हम तेरा नाम न लेंगे ज़ख़्म कितने तिरी चाहत से... >> एक एक कर के लोग बिछड़ते चले गए ये क्या हुआ कि वक़्फ़ा-ए-मातम नहीं मिला Share on: