एक हम ही तो नहीं हैं जो उठाते हैं सवाल By Sher << उसी मक़ाम पे कल मुझ को दे... तुझ से तो दिल के पास मुला... >> एक हम ही तो नहीं हैं जो उठाते हैं सवाल जितने हैं ख़ाक-बसर शहर के सब पूछते हैं Share on: