एक हंगामे पे मौक़ूफ़ है घर की रौनक़ By Sher << किया था अहद जब लम्हों में... ज़ाहिदो दावत-ए-रिंदाँ है ... >> एक हंगामे पे मौक़ूफ़ है घर की रौनक़ नौहा-ए-ग़म ही सही नग़्मा-ए-शादी न सही if just on clamor now depends, the home's hullabaloo if be not songs of joy, no loss, with sorrow's cries make do Share on: