एक ही तीर है तरकश में तो उजलत न करो By Sher << इक पल का तवक़्क़ुफ़ भी गि... 'असलम' बड़े वक़ार... >> एक ही तीर है तरकश में तो उजलत न करो ऐसे मौक़े पे निशाना भी ग़लत लगता है Share on: