एक मज्ज़ूब उदासी मेरे अंदर गुम है By Sher << इसी उमीद पे बरसें गुज़ार ... तोड़ भी दो एहसास के रिश्त... >> एक मज्ज़ूब उदासी मेरे अंदर गुम है इस समुंदर में कोई और समुंदर गुम है Share on: