एक पल के रुकने से दूर हो गई मंज़िल By Sher << हम हैं ख़ालिक़-ए-नग़्मा ल... अब हयात-ए-इंसाँ का हश्र द... >> एक पल के रुकने से दूर हो गई मंज़िल सिर्फ़ हम नहीं चलते रास्ते भी चलते हैं Share on: