इक पतिंगे ने ये अपने रक़्स-ए-आख़िर में कहा By Sher << खुली आँखों से भी सोया हूँ... हुस्न इक दिलरुबा हुकूमत ह... >> इक पतिंगे ने ये अपने रक़्स-ए-आख़िर में कहा रौशनी के साथ रहिए रौशनी बन जाइए Share on: