इक रौशनी सी दिल में थी वो भी नहीं रही By Sher << है देखने वालों को सँभलने ... दिए जलाए उम्मीदों ने दिल ... >> इक रौशनी सी दिल में थी वो भी नहीं रही वो क्या गए चराग़-ए-तमन्ना बुझा गए Share on: