एक साए की तलब में ज़िंदगी पहुँची यहाँ By Sher << बिछड़ जाएँगे हम दोनों ज़म... ख़ुदा ने मुँह में ज़बान द... >> एक साए की तलब में ज़िंदगी पहुँची यहाँ दूर तक फैला हुआ है मुझ में मंज़र धूप का Share on: