इक सच की आवाज़ में हैं जीने के हज़ार आहंग By Sher << आग़ाज़-ए-मोहब्बत का अंजाम... अजनबी जान के क्या नाम-ओ-न... >> इक सच की आवाज़ में हैं जीने के हज़ार आहंग लश्कर की कसरत पे न जाना बैअत मत करना Share on: