एक से मंज़र देख देख कर आँखें दुखने लगती हैं By Sher << न थे आशिक़ किसी बे-दाद पर... ज़हे क़िस्मत कि उस के क़ै... >> एक से मंज़र देख देख कर आँखें दुखने लगती हैं इस रस्ते पर पेड़ बहुत हैं और हरा कोई भी नहीं Share on: