इक तिरी बात कि जिस बात की तरदीद मुहाल By Sher << हम मय-कशों को डर नहीं मरन... क्या कहूँ दिन को किस क़दर... >> इक तिरी बात कि जिस बात की तरदीद मुहाल इक मिरा ख़्वाब कि जिस ख़्वाब की ताबीर नहीं Share on: