एक तुम्हारी याद ने लाख दिए जलाए हैं By याद, Sher << जिस में छुपा हुआ हो वुजूद... जिस्म अपने फ़ानी हैं जान ... >> एक तुम्हारी याद ने लाख दिए जलाए हैं आमद-ए-शब के क़ब्ल भी ख़त्म-ए-सहर के बाद भी Share on: