फबा है रुख़ पे तिरे ख़ुश-नुमा सनम लेकिन By Sher << घर अपना किसी और की नज़रों... बे-वफ़ा ही सही ज़माने में >> फबा है रुख़ पे तिरे ख़ुश-नुमा सनम लेकिन हमेशा गुल पे ये शबनम रहे रहे न रहे Share on: