फ़क़त माल-ओ-ज़र-ए-दीवार-ओ-दर अच्छा नहीं लगता By बचपन, Sher << ऐ बहर न तू इतना उमँड चल म... चमक रहे थे अंधेरे में सोच... >> फ़क़त माल-ओ-ज़र-ए-दीवार-ओ-दर अच्छा नहीं लगता जहाँ बच्चे नहीं होते वो घर अच्छा नहीं लगता Share on: