फ़न का दावा है तो कुछ जुरअत-ए-इज़हार भी हो By Sher << बसी है सूखे गुलाबों की बा... कौन मर कर दोबारा ज़िंदा ह... >> फ़न का दावा है तो कुछ जुरअत-ए-इज़हार भी हो ज़ेब देता नहीं फ़नकार को बुज़दिल होना Share on: