हर नफ़स उम्र-ए-गुज़िश्ता की है मय्यत 'फ़ानी' By Sher << तारीकियाँ क़ुबूल थीं मुझ ... इस माअ'रके में इश्क़ ... >> हर नफ़स उम्र-ए-गुज़िश्ता की है मय्यत 'फ़ानी' ज़िंदगी नाम है मर मर के जिए जाने का Share on: