इक दिन वो मेरे ऐब गिनाने लगा 'फ़राग़' By Sher << ख़्वाब ही ख़्वाब की ताबीर... आप का लहजा शहद जैसा तरन्न... >> इक दिन वो मेरे ऐब गिनाने लगा 'फ़राग़' जब ख़ुद ही थक गया तो मुझे सोचना पड़ा Share on: