फ़स्ल-ए-गुल में भी दिखाता है ख़िज़ाँ-दीदा-दरख़्त By Sher << दिल जहाँ ले जाए दिल के सा... फिर क्या है जो ये रात ढली... >> फ़स्ल-ए-गुल में भी दिखाता है ख़िज़ाँ-दीदा-दरख़्त टूट कर देने पे आए तो घटा जैसा भी है Share on: