फ़ुर्सत हो तो ये जिस्म भी मिट्टी में दबा दो By Sher << गुमाँ न था कि लिफ़ाफ़े मे... अपने गले पे चलती छुरी का ... >> फ़ुर्सत हो तो ये जिस्म भी मिट्टी में दबा दो लो फिर मैं ज़माँ और मकाँ से निकल आया Share on: