फ़ज़ाएँ रक़्स में हैं और बरस रही है शराब By Sher << गुलों की तरह महकते हैं बा... एहसान ख़ाक-ए-सहरा पे मजनू... >> फ़ज़ाएँ रक़्स में हैं और बरस रही है शराब किसी ने जाम सू-ए-आसमाँ उछाला है Share on: