तुम ने क्यूँ दिल में जगह दी है बुतों को 'साबिर' By Sher << जैसे पानी पे नक़्श हो कोई दिल ख़ुश जो नहीं रहता तो ... >> तुम ने क्यूँ दिल में जगह दी है बुतों को 'साबिर' तुम ने क्यूँ काबा को बुत-ख़ाना बना रक्खा है Share on: