फेंक दे बाहर की जानिब अपने अंदर की घुटन By Sher << काँटों पे चले हैं तो कहीं... ऐसे हंस हंस के न देखा करो... >> फेंक दे बाहर की जानिब अपने अंदर की घुटन अपनी आँखों को लगा दे घर की हर खिड़की के साथ Share on: