फ़िक्र ओ एहसास के तपते हुए मंज़र तक आ By Sher << पुतलियों पर रक़्स करना ही... जब जब तुम को याद करें हम >> फ़िक्र ओ एहसास के तपते हुए मंज़र तक आ मेरे लफ़्ज़ों में उतर कर मिरे अंदर तक आ Share on: