फ़िक्र-ए-मेआर-ए-सुख़न बाइस-ए-आज़ार हुई By Sher << दीप जलते हैं दिलों में कि... मिरा वजूद जो पत्थर दिखाई ... >> फ़िक्र-ए-मेआर-ए-सुख़न बाइस-ए-आज़ार हुई तंग रक्खा तो हमें अपनी क़बा ने रक्खा Share on: