फिर आदमी हवस से भी आगे निकल गया By Sher << जब तिरा नाम सुना तो नज़र ... इक बूँद ज़हर के लिए फैला ... >> फिर आदमी हवस से भी आगे निकल गया फिर आदमी के काम न आया गुनाह तक Share on: