फिर इस तरह कभी सोया न इस तरह जागा By Sher << रौशनी आधी इधर आधी उधर पलट सकूँ ही न आगे ही बढ़ ... >> फिर इस तरह कभी सोया न इस तरह जागा कि रूह नींद में थी और जागता था मैं Share on: