फिर ज़ेहन की गलियों में सदा गूँजी है कोई By Sher << किस ने पाया सुकून दुनिया ... उठे हैं हाथ तो अपने करम क... >> फिर ज़ेहन की गलियों में सदा गूँजी है कोई फिर सोच रहे हैं कहीं आवाज़ सुनी है Share on: