फिर वही कुंज-ए-क़फ़स है वही सय्याद का घर By Sher << बिसात-ए-इज्ज़ में था एक द... मुझी पर क़त्अ हुई है क़बा... >> फिर वही कुंज-ए-क़फ़स है वही सय्याद का घर चार दिन और हवा बाग़ की खा ले बुलबुल Share on: