फूँक दो याँ गर ख़स-ओ-ख़ाशाक हैं By Sher << मुझे मालूम है अहल-ए-वफ़ा ... इन दिनों मैं भी हूँ कुछ क... >> फूँक दो याँ गर ख़स-ओ-ख़ाशाक हैं दूर क्यूँ फेंको हमें गुलज़ार से Share on: