फूल बरसे कहीं शबनम कहीं गौहर बरसे By Sher << सुर्ख़ी शफ़क़ की ज़र्द हो... तुम मेरे लिए इतने परेशान ... >> फूल बरसे कहीं शबनम कहीं गौहर बरसे और इस दिल की तरफ़ बरसे तो पत्थर बरसे Share on: