गदा को गर क़नाअत हो तो फाटा चीथड़ा बस है By Sher << सोच को जुरअत-ए-पर्वाज़ तो... फिर मेहरबाँ हुआ है 'त... >> गदा को गर क़नाअत हो तो फाटा चीथड़ा बस है वगर्ना हिर्स आगे थान सौ गज़ का लंगोटी है Share on: