गए ज़माने की चाप जिन को समझ रहे हो By Sher << गिला भी तुझ से बहुत है मग... क्यूँ बताता नहीं कोई कुछ ... >> गए ज़माने की चाप जिन को समझ रहे हो वो आने वाले उदास लम्हों की सिसकियाँ हैं Share on: