गए थे हम भी बहर की तहों में झूमते हुए By Sher << तुम आके लौट गए फिर भी हो ... कलीसा मौलवी राहिब पुजारी >> गए थे हम भी बहर की तहों में झूमते हुए हर एक सीप के लबों में सिर्फ़ रेगज़ार था Share on: