गई यक-ब-यक जो हवा पलट नहीं दिल को मेरे क़रार है By Sher << लकीर खींच के बैठी है तिश्... तुम्हारे मिलने की हर आस आ... >> गई यक-ब-यक जो हवा पलट नहीं दिल को मेरे क़रार है करूँ उस सितम को मैं क्या बयाँ मिरा ग़म से सीना फ़िगार है Share on: