ग़ज़ब की धार थी इक साएबाँ साबित न रह पाया By Sher << गुलाबों के होंटों पे लब र... दूर तक कोई न आया उन रुतों... >> ग़ज़ब की धार थी इक साएबाँ साबित न रह पाया हमें ये ज़ोम था बारिश में अपना सर न भीगेगा Share on: