ग़ज़ल के रंग में मल्बूस हो कर By Sher << मिला है तख़्त किसे कौन तख... जिस को चाहें बे-इज़्ज़त क... >> ग़ज़ल के रंग में मल्बूस हो कर रुबाब-ए-दर्द से आहंग निकला Share on: