गली के बाहर तमाम मंज़र बदल गए थे By Sher << हुए मदफ़ून-ए-दरिया ज़ेर-ए... न चलो मुझ से तुम रक़ीबो च... >> गली के बाहर तमाम मंज़र बदल गए थे जो साया-ए-कू-ए-यार उतरा तो मैं ने देखा Share on: