ग़म बहुत दिन मुफ़्त की खाता रहा By Sher << घर में क्या आया कि मुझ को गवाही देता वही मेरी बे-गु... >> ग़म बहुत दिन मुफ़्त की खाता रहा अब उसे दिल से निकाला चाहिए Share on: