ग़म की बंद मुट्ठी में रेत सा मिरा जीवन By Sher << ये कौन बोलता है मिरे दिल ... किसी पे करना नहीं ए'त... >> ग़म की बंद मुट्ठी में रेत सा मिरा जीवन जब ज़रा कसी मुट्ठी ज़िंदगी बिखरती है Share on: